आज ब्रह्म मुहूर्त में तेलंगाना पुलिस द्वारा किये गये एनकाउंटर से देश में हर तरफ जश्न का माहौल है
असल में यह जश्न एनकाउंटर का नहीं बल्कि जनमानस के भीतर अन्याय के खिलाफ और खास तौर पर आए दिन हो रहे बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के खिलाफ सुलग रही आग का बाहर आना है। आज हर दिन कहीं ना कहीं बेटियों के बलात्कार का शिकार होने की खबरें सामने आ रही हैं। बड़े से बड़े कुकृत्य करने वाले अपराधी पकड़े भी जा रहे हैं परंतु हमारी न्याय व्यवस्था उनके लिए संरक्षक की भूमिका निभा रही है। अपराधियों के लिए जेल सुरक्षित स्थान बन रही हैं।
अपराध का मामला आईने की तरह साफ होने के बावजूद भी अपराधी फांसी के फंदे तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। यह न्याय व्यवस्था की ऐसी लाचारी को उजागर करता है कि न्याय पाने की उम्मीद लगाना सबसे बड़ी ना उम्मीदी बन गया है और न्याय करने वाले खामोश बैठे हैं।
जनता बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर त्वरित कार्यवाही चाहती है जबकि हमारे फास्ट ट्रैक कोर्ट के प्रावधान ऊबड़-खाबड़ रास्तों में हिचकोले खा रहे हैं।
निर्भया बलात्कार कांड जैसी दिल दहलाने वाली घटना के बाद कानून व्यवस्था और न्याय व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तनों की बात हुई । परंतु त्वरित फैसले की पैरवी करने वाले ही इतनी बड़ी घटना को भूल गए। अपराधियों को जेल से फांसी के तख्ते तक पहुंचने की दूरी पार कराने मैं कई वर्ष लग गए। ऐसे अपराध करने वालों के हौसले जरा भी कम नहीं हो रहे और आए दिन नाबालिग और यहां तक कि नवजात बच्चियों को भी बलात्कार का शिकार होना पड़ रहा है।
आखिर क्यों न किसी का जमीर जागता ?
आज यही सवाल- दर – सवाल अपने अंदर समेटे हुए ज्वालामुखी ने मुंह खोला है और हर तरफ लावा ही लावा बिखर गया। इस ज्वालामुखी से निकला हुआ लावा लोगों के लिए सूरज की किरणों से भी तेज उजाला लेकर आया है।
इस एनकाउंटर रूपी घटना, भला यूं कहें कि इस विस्फोट ने इस वक्त कोई आईना तो जरूर दिखाया है । आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि अब हमारी न्याय पद्धति की काली पट्टी के अंदर छिपी आंखों तक अवश्य ही त्वरित न्याय देने के लिए सीधी – सपाट सड़क की छवि पहुंच पाएगी।