उत्तराखण्ड में एकीकृत वित्तीय प्रबन्धन प्रणाली (IFMS) लागू की गयी है। इस प्रणाली का उपयोग कर्मचारियों के वेतन देने के लिए किया जाना है। इसके अतिरिक्त सेवानिवृत होने वाले कर्मियों की ग्रेच्युटी/नकदीकरण/जी.पी.एफ. आदि बीजकों के निस्तारण भी किये जाने हैं। परन्तु इसकी नये साॅफ्टवेयर में व्यवस्था नहीं हो पायी है, जिस कारण सैकड़ों कर्मियों के देयक कार्यालयों में लम्बित पड़े है। गौरतलब बात यह है कि यह अप्रैल 2019 से प्रदेश में लागू आई.एफ.एम.एस. के सम्बन्धित किसी भी प्रकार प्रशिक्षण नहीं दिया गया और न कहीं प्रयोग किया गया। ऐसे में भुगतान व्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गयी है। इस कारण मिनिस्टीरियल कर्मियों में भारी आक्रोश है। यदि समाधान न हुआ तो मिनिस्टीरियल फैडरेशन आन्दोलन को बाद्य हो सकता है।
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