देश के प्रथम गंगा टाउन होने का गौरव प्राप्त कर चुके नगर गौचर के कूड़े का डंपिंग जोन नेशनल हाईवे के किनारे और अलकनंदा के कुछ ऊपर इस प्रकार से बनाया गया है कि इससे निकलने वाले तत्व_ रस इत्यादि का एक एक अंश सीधे नदी में प्रवाहित होकर गंगा की पवित्रता को तार-तार कर दे। जिस वक्त यह कूड़ा जलाया जाता है उस वक्त धुएं के गुबार सड़क पर चल पाना भी दूभर कर देते हैं। यह स्थिति केवल गौचर शहर की नहीं है बल्कि कूड़ा निस्तारण की समुचित व्यवस्था न हो पाना पर्वतीय अंचलों के सभी शहरों के लिए अभिशाप बना हुआ है। ऐसा एक उदाहरण अभी बदरीनाथ यात्रा के दौरान जोशीमठ शहर के प्रवेश द्वार के निकट भी देखा। यहां पर भी सड़क किनारे कूड़े का डंपिंग जोन बनाया गया है और उसे भी आग के हवाले किया गया था
यह विषय गंभीर है क्योंकि पर्यावरण को संरक्षित करने में महती भूमिका निभाने वाले हिमालई क्षेत्रों में इस प्रकार से प्लास्टिक इत्यादि अजैविक कूड़े के ढेर लगेंगे, उन्हें जलाया जाएगा और उनका सारा गंदा सार तत्व गंगा में प्रवाहित होता रहेगा तो इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं है। पतित पावनी मां गंगा की पवित्रता निरंतर छिन्न-भिन्न होती रहेगी और गंगा की निर्मलता का नारा सिर्फ नारा बनकर रह जाएगा।
गोचर में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था का वीडियो अवश्य देखें