ताजा खबर👉 महामहिम राष्ट्रपति पहुंचे उत्तराखंड, आईआईटी रुड़की दीक्षांत समारोह कथा हरिद्वार में पूजन अभिषेक में हुए शामिल

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राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचने पर राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, केन्द्रीय मंत्री डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक, उत्तराखंड के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ धनसिंह रावत, मेयर देहरादून श्री सुनील उनियाल गामा, मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक श्री अनिल कुमार रतूङी, जीओसी सब एरिया मे.ज. भास्कर कालीता, जिलाधिकारी देहरादून श्री सी. रविशंकर, एसएसपी श्री अरुण मोहन जोशी ने स्वागत किया।

महामहिम राष्ट्रपति आईआईटी रुड़की के वार्षिक दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च स्तरीय तकनीकी संस्थानों में छात्राओं की संख्या बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे।

महामहिम ने कहा कि आईआईटी रुड़की जैसे संस्थान शिक्षा के केंद्र मात्र नहीं बल्कि नवाचार और रचनात्मक विचारों के हब भी हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैज्ञानिक तकनीकी संस्थाओं में छात्राओं का अनुपात अपेक्षाकृत कम है। राष्ट्रपति ने कहा कि खुशी की बात है कि आईआईटी रुड़की के छात्रों ने सामुदायिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई है।

दीक्षांत समारोह के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमें इस पर विचार करना चाहिए कि शिक्षा का उपयोग देश के कल्याण में किस प्रकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कठिन प्रतिस्पर्धा के दौर में छात्रों का जीवन तनावपूर्ण हो रहा है। ऐसे में माननीय प्रधानमंत्री जी के योग के संदेश को अपनाने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने इस बात पर खुशी व्यक्त की है कि आईआईटी रुड़की को इमर्जिंग यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में विश्व प्रसिद्ध टाइम मैगजीन ने विश्व में 35 स्थान दिया है।

महामहिम राष्ट्रपति अपराह्न 3:00 बजे कनखल स्थित हरिहर आश्रम में पहुंचे। यहां महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज से मुलाकात की। इसके उपरांत महामहिम राष्ट्रपति “भारत के अभ्युदय – उत्कर्ष एवं पर्यावरण में संतुलन” के निमित्त श्री महाकालेश्वर महादेव का पूजन अभिषेक किया।

ज्ञात हो ऐसा पूजन अभिषेक पूर्व मैं तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के कर कमलों द्वारा संपन्न किया गया था। इसके उपरांत वर्तमान तक अनेक साधकों, राज पुरुषों एवं गणमान्यों द्वारा लोक कल्याणार्थ भगवान पारदेश्वर का पूजन अभिषेक किया जाता रहा है

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