*बड़ी खबर 👉👉कान्हा का हुआ जन्म,, भक्त खुशी से झूम उठे ,,,,गणेश परिक्रमा करने वाले ही हर जगह लाभ ले रहे —आचार्य मंमगाई*

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गणेश परिक्रमा करने वाले ही हर जगह लाभ ले रहे हैं– आचार्य शिव प्रसाद मंमगाई

देवभूति देवताओं को आहूत करने वाली पवित्र भावना कपिल ज्ञान स्वरूप माता को कहते हुए मा कर्तब्य का पालन करना चाहिए अधिकार की लड़ाई नही लड़नी चाहिए वह मिल ही जाता है देवभूति प्रसंग व पार्वती गणेश के प्रसंग को जोड़कर सरस्वती विहार में चल रही कथा के चौथे दिन आचार्य शिवप्रसाद ममगई जी ने कहा पार्वति शंकर जी ने शर्त रखी जो पृथ्वी की परिक्रमा करके पहले आएगा उसकी शादी पहले होगी कार्तिकेय जी परिक्रमा करते गए जबकि गणेश जी ने माता पिता की परिक्रमा ही कि और सिद्धि बुद्धि से विवाह गणेश जी का हुआ और लाभ क्षेम पुत्र भी हुआ आज ठीक यही चल रहा है किसी अधिकारी या किसी भी क्षेत्र में गणेश जी की तरह परिक्रमा करने वाले को ही लाभ मिलता है जबकि कर्तब्य पालन करने वाले ब्यक्ति जो समाज के बीच रहते हैं देश प्रदेश का भला सोचते हैं उन्हें ठीक से स्थान व पद प्रतिष्ठा नही मिलती। वो कुछ नही कर पाते जबकि आगे पीछे घूमने वाले धन पद का लाभ उठाते हैं

श्रीमद्भागवत वह ग्रंथ है जिसमे जीवन कैसे जियें और जीवन की यात्रा तक कैसे सफल करे का वर्णन है जिसमे 180000 श्लोक हैं। 18 अर्थात 8 और 1 का मेल 9 जो पूर्णांक है जो हमे पूर्ण ज्ञान से परिपूरित करता है सज्जन दुर्जन हमेशा हर युग मे हर समाज मे रहे समाज को दुर्जनों के खतरों से ज्यादा सज्जनों की निष्क्रियता से खतरा है इसलिए ज्ञानी सज्जन हो सक्रिय रहना आवश्यक है सनातनी समाज के साथ होने वाली घटनाओं के प्रति हम सबको सजग रहना होगा इसी कारण लोग दिग्भर्मित होते जा रहे हैं भगवान कृष्ण के अवतरण पर आचार्य ममगाईं ने कहा प्रेम की भावना झुकने नही देती देवकी और वासुदेव जेल से छूटने के बाद पुनः भगवान को प्राप्त कर गए जबकि नफरत वाला कंश भगवान के हाथों मारे गया मानवीय जिंदगी तो वास्तव में यह हैं

जो लोग देख के खुस हो जाये व मिलते ही स्वागत करने को आये आपसे बात करने पर प्रीति हो जाये सही रूप में यही मानवीय गुण है जिसमे एक बार मिलने पर बार बार मिलने की इच्छा हो यही मधुर जिंदगी है यह उसको मिलती है जहाँ गुस्सा क्रोध हो वह नही संसार के रिश्ते प्रेम से नही टूटते अहंकार अज्ञान से टूटते है सतोगुण की हमेशा जीत तमोगुण की हार सतोगुण बढ़ता है तो भगवान खम्भे से प्रकट होकर तमोगुण रूपी हिरण्यकश्यप का वध करते हैं चाहत नही चेतना जिसे भगवान देते हैं उसका सब कुछ होता है शुक्राचार्य के चहेते बलि और बलि के चहेते शुक्रचार्य एक आंख गंवा गया और एक राज क्योंकि इन्होने भगवान के बिमुख कार्य किया

आज विशेष रूप से धर्मेंद्र, रविंद्र ,सिखा ,अर्पिता अस्मिता, भागा देवी, आसु बहुगुणा, जगमोहन तोपवाल रणजीत पुंडीर, मधु गुसाईं आचार्य शिवप्रसाद सेमवाल आचार्य हर्षपति घिल्डियाल आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य संदीप भट्ट आचार्य वीरेंद्र बिजल्वाण आचार्य प्रकाश भट्ट आचार्य हिमांशु मैठाणी आदि उपस्थित रहे !!!!

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