विडंबना
जहां एक ओर सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल से जल संचालित की जा रही है वहीं हर घर गोमल्या (गैलेन) से जल पहुंचाना ग्रामीणों की मजबूरी बना हुआ है
ताजा मामला जनपद चमोली के अंतर्गत पोखरी क्षेत्र का है
पोखरी विकासखंड के मुख्यालय के निकटस्थ एक बड़े क्षेत्र को पोखरी पुनर्गठन पेयजल योजना से 6-7 वर्ष पूर्व पेयजल आपूर्ति प्रारंभ की गई
विडंबना यह है कि इतनी बड़ी धनराशि खर्च कर बनाई गई किस पेयजल योजना के रखरखाव की व्यवस्था बेहद लचर रही है रही है
स्थिति यह है कि बरसात की शुरुआत हो जाए तो योजना जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो जाती है। योजना के सुधार में कई दिन लग जाते हैं
वर्तमान में 28 जुलाई से यह योजना क्षतिग्रस्त हुई है। भूस्खलन से बड़ी संख्या में सप्लाई मेन के पाइप बह गए हैं
ऐसी आपदा की स्थिति से निपटने के लिए पेयजल संस्थान पोखरी के पास कोई भी इंतजाम नहीं हैं। 4 दिन बीत जाने के बाद अब देहरादून या कहीं अन्य जगह से पाइप मंगाए जा रहे हैं
सवाल उठता है कि जब इतनी बड़ी योजना बनाई गई तो ऐसे इंतजाम क्यों नहीं जुटाए गए कि योजना के क्षतिग्रस्त होने की स्थितियों से निपटा जा सके। आखिर विभाग के पास पोखरी में ही आवश्यक पाइप उपलब्ध क्यों नहीं हैं
ग्रामीण जल आपूर्ति हेतु दूरस्थ स्रोतों तक जाने को मजबूर है। वहां से बड़े-बड़े गैलन (ग्वम्ल्या) के माध्यम से हर घर जल की आपूर्ति की जा रही है।
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