*विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष👉👉👉👉👉👉👉👉👉👉👉👉👉हिमालय की पारिस्थितिकी बचाने का एक मात्र जरिया विज्ञान सम्मत विकास:नवीन जुयाल*

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विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार के वानिकी महाविद्यालय, रानीचौर द्वारा माननीय कुलपति महोदय प्रो. अजीत कुमार कर्नाटक जी की प्रेरणा से अतिथि व्याख्यान का आयोजन

ऑनलाइन माध्यम से संचालित व्याख्यान में मुख्य वक्ता, उत्तराखंड मूल के सुप्रसिद्ध पूर्व वैज्ञानिक, फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी, अहमदाबाद व हिमालयी भूगर्भ विशेषज्ञ डॉ नवीन जुयाल रहे।

कार्यक्रम का संचालन व आयोजन वानिकी महाविद्यालय, रानीचौरी के बेसिक एवं सोशल साइंसेज विभाग के अध्यक्ष डॉ एस पी सती द्वारा किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक जी द्वारा हिमालय क्षेत्र में पर्यावरण एवं मानव हस्तक्षेप का संतुलन बनाए रखने में भूमि उपयोग योजना के अंतर्गत बंजर भूमि के उचित उपयोग पर बल दिया गया तथा उन्होंने जल एवं जीवाश्म ईंधन जैसे प्राकृतिक संसाधनों के उपयुक्त उपयोग व साथ ही वैकल्पिक संसाधनों की ओर कार्य करने की भी सलाह दी।

मुख्य वक्ता डॉ नवीन जुयाल ने “जलवायु परिवर्तन एवं मानव हस्तक्षेप पर हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की प्रतिक्रिया” विषय पर बोलते हुए, विशेषकर छात्रों, शिक्षकों व उपस्थित दर्शकों के समक्ष हिमालय की विभिन्न भौगोलिक श्रेणियों- ट्रांस हिमालय, उच्च हिमालय व निचले हिमालय क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियों व पारिस्थितिकी तंत्र की जटिलताओं को समझाया। उन्होंने बदलते पर्यावण के प्रभाव व भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए विभिन्न श्रेणियों के लिए पृथक पृथक प्रबंधन नीति को अपनाए जाने पर ज़ोर दिया। साथ ही तोता घाटी, गल्यासेंड आदि इलाकों का उदाहरण देते हुए कहा कि विभिन्न विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन से पहले विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण व परियोजनाओं की रूप रेखा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को महत्व देने की अत्यंत आवश्यकता है। डॉ जुयाल ने हिमालय क्षेत्र के विभिन्न इलाकों के वैज्ञानिक अध्यन प्रस्तुत कर विकास परियोजनाओं में विस्तृत व निष्पक्ष रूप से पर्यावरण प्रभाव आंकलन (EIA) करने पर बल दिया।

ऑनलाइन व्याखान में विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार डॉ चंदेश्वर तिवारी जी ने भी विश्व पर्यावरण दिवस पर अपने विचार प्रस्तुत किए। अंत में निदेशक शोध डॉ अमोल वसिष्ठ ने मुख्य वक्ता, कुलपति महोदय एवं सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद प्रेषित किया। ऑनलाइन व्याख्यान के दौरान विश्वविद्यालय के छात्रों के अतिरिक्त विश्वविद्यालय के कुलसचिव, प्रो. बी पी नौटियाल, संयुक्त निदेशक शोध डॉ अरविंद बिजल्वान, डॉ चतर सिंह धनाई, डॉ दीपा रावत, डॉ मनोज रियाल, डॉ तौफिक अहमद, डॉ रीना जोशी, डॉ अजय कुमार, ई तेजस भोंसले, डॉ राजेंद्र सिंह बाली, डॉ गार्गी गोस्वामी, डॉ अजय पालीवाल आदि सम्मिलित रहे।

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