नैनीताल हाईकोर्ट में बिजली विभाग के तीनों निगमों के अधिकारी कर्मचारियों को सस्ती बिजली देने व आम जनता के लिए बिजली की दरों को बढ़ाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
आज एमडी पावर कॉर्पोरेशन कोर्ट में पेश हुए। एमडीयू ने इस आशय का शपथपत्र प्रस्तुत किया वे एक माह के भीतर सभी बिजली विभाग के कर्मचारियों के आवासों पर मीटर लगा देंगे।
पावर कॉरपोरेशन के एमडी ने भी माना कि विभाग द्वारा अनियमितताए की गई हैं। उन्होंने कहा कि एक माह के भीतर अनियमितताओं की जाँच कर लेंगे। जांच पूरी होने तक कर्मचारियों का एक माह का वेतन रोक दिया जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून की आरटीआई क्लब की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया कि सरकार ऊर्जा निगम के कर्मचारियों व अधिकारियों से एक महीने का बिल मात्र 400 से 500 रुपए एवं अन्य कर्मचारियों से 100 रुपए ले रही है जबकि इनका बिल लाखों में आता है। जिसका बोझ सीधे जनता पर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घर बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं , जो लगे भी है वे खराब स्थिति में हैं। उदारहण के तौर पर जनरल मैनेजर का 25 माह का बिजली का बिल 4 लाख 20 हजार आया था और उसके बिजली के मीटर की रीडिंग 2005 से 2016 तक नही ली गयी । कारपोरेशन वर्तमान कर्मचारियों के अलावा रिटायर व उनके आश्रितों को भी बिजली मुफ्त में दी है जिसका सीधा भार आम जनता की जेब पर पड़ रहा है । याचिकाकर्ता का कहना है कि उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश घोषित है लेकिन यहां हिमांचल से मंहगी बिजली है जबकि वहाँ बिजली का उत्पादन तक नही होता है। याचिकर्ता का यह भी कहना है घरों में लगे मीटरों का किराया पावर का कारपोरेशन कब का वसूल कर चुका है।