पंचायतों का आरक्षण निर्धारण 10 दिन आगे खिसका तो दिया परंतु इसमें अभी भी एक पेच फंसा है : जोत सिंह बिष्ट

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पंचायत जनाधिकार मंच के संस्थापक व संयोजक श्री जोत सिंह बिष्ट ने उत्तराखंड सरकार पर त्रिस्तरीय पंचायतों के आरक्षण निर्धारण में देरी करने को साजिश बताते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ने बरसात और आपदा का बहाना बनाकर पंचायतों के आरक्षण को 10 दिन आगे खिसका कर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की सहूलियत के हिसाब से आरक्षण का निर्धारण करने की जो कोशिश की उसमें एक पेंच अभी भी बाकी है।

जय सिंह बिष्ट ने बताया कि पंचायत राज अधिनियम संशोधन विधेयक 2019 के अव्यावहारिक प्रावधानों के खिलाफ मा0 उच्च न्यायालय में दायर याचिका की सुनवाई गतिमान होने तथा उसमें मा0 न्यायालय द्वारा अभी तक कोई निर्देश जारी न होने के कारण यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि अगले पंचायत चुनाव में 2 से अधिक बच्चे वाले लोग चुनाव में भागीदारी कर सकते हैं या नहीं। यदि मा0 न्यायालय यह फैसला देता है कि 2 से अधिक बच्चे वालों के लिए एक कट ऑफ डेट निर्धारित करने के बाद सरकार इस अधिनियम में पुनः संशोधन करें तो उस दशा में पंचायत चुनाव लड़ने वाले लोगों में वह लोग भी शामिल हो जाएंगे जो अभी तक सरकार द्वारा बनाई गई कानून की वजह से वंचित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं जिला पंचायत सदस्य के वार्डों के आरक्षण का निर्धारण सरकार पहले कर देती है तो उनके कई वरिष्ठ लोग इस पर एतराज करते हुए सरकार पर दबाव बनाएंगे। इसलिए सरकार अपने उन लोगों के लिए आरक्षण के निर्धारण के समय को बढ़ा रही है, जो कतई व्यवहारिक नहीं है।
वास्तव में पंचायत चुनाव के पहले जब ग्राम पंचायत सदस्य के वार्ड, ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत सदस्य के वार्ड एवं जिला पंचायत सदस्य के वार्ड के परिसीमन की कार्यवाही पूरी की जाती है तो उसके तुरंत बाद बिना विलंब के सीटों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए। लेकिन सरकारें जानबूझकर आरक्षण के निर्धारण की प्रक्रिया को लटकाती है और उसमें हेराफेरी करने के किसी मौके को चूकती नहीं है। सरकार की इस प्रकार की कार्यवाही से पंचायत में ऐसे बहुत सारे लोग जो योग्य होते हैं, अनुभवी होते हैं एवं पंचायतों के लिए लाभकारी होते हैं चुनाव लड़ने से वंचित रह जाते हैं। जिसका खामियाजा राज्य की पंचायत राज व्यवस्था को भुगतना पड़ता है।

जोत सिंह बिष्ट ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि पंचायत जनाधिकार मंच सरकार की गतिविधियों पर अपनी पैनी नजर रखे हुए हैं, और समय-समय पर हम इन सवालों को खड़ा करके पंचायत से जुड़े हुए लोगों के संज्ञान में लाने का काम करते रहेंगे, ताकि लोग जान सकें कि उनके अधिकारों पर कहां-कहां कुठाराघात हो रहा है । उन्होंने कहा कि हमारा जन जागरण का यह सिलसिला निश्चित रूप से पंचायतों के लिए लाभकारी होगा ऐसा मेरा विश्वास है।

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