एक मन्दिर जहां साधना करने से खूबसूरत संतानों की प्राप्ति होती है

Share

श्री बदरीनाथ धाम से कुछ दूरी पर बामणी गांव में स्थित है माता उर्वशी का मंदिर। भगवान नारायण की जंगा से हुई थी उर्वशी माता की उत्पत्ति
कहते हैं भगवान नर नारायण बद्रिकाश्रम में घोर तपस्या कर रहे थे। तपस्या के तेज को देखकर इंद्र घबरा गए कि कहीं मेरा इंद्रासन न छिन जाए। अतः वह भगवान नर नारायण के पास आए और कहा कि तपस्वियो जो वर मांगना है मांग लो। नर नारायण तपस्या लीन रहे और इंद्र की ओर ध्यान नहीं दिया। तब इंद्र ने इनका तप भंग करने के लिए कामदेव, बसंत तथा अप्सराओं को भेजा। बसंत ने वहां का वातावरण मादक बना दिया। अप्सराएं कामोद्दीपक हाव-भाव व नृत्य करने लगी। भगवान ने नेत्र खोले तो अब सराय भयभीत हो गई। तब भगवान ने कहा कि भयभीत न हों बल्कि आश्रम में मेरा आतिथ्य स्वीकार करो। भगवान नारायण ने उन अप्सराओं का मान मर्दन करने के लिए आम्र की डाली से अपनी जंग को चीरा जिसमें से सैकड़ों सुंदर देवांगनायें आए निकली। वे देवलोक की अप्सराओं से कई गुना सुंदर थी। अप्सराएं लज्जित हुई तो नारायण ने कहा कि लज्जित ना हों इन देवांगनाओं मैं से उर्वशी को लेकर देवलोक जाइए और इंद्र को इन्हें हमारी ओर से उपहार स्वरूप दीजिए।
भगवान ने अन्य अप्सराओं को वरदान मांगने को कहा तो वह भगवान की मनमोहक रूप पर मोहित होकर बोली कि हे प्रभु हमें वरदान दें कि हम सदा आपकी दासी बनी रहें। तब नारायण अप्सराओं से बोले हे दे देवियों मैंने यह अवतार तक मार्ग प्रदर्शित करने को लिया है। अतःहै इस जन्म में तो नहीं परंतु कृष्णावतार मैं तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करुंगा।
दूसरे जन्म में भगवान कृष्ण के रूप में अवतरित हुए और अप्सराएं गोपिया बनी तब उनकी मनोकामना पूर्ण हुई।

You May Also Like