*साधुवाद ऐसी पहल को👉👉👉👉👉👉👉👉👉एक जिलाधिकारी ऐसे भी,,,,,, लॉकडाउन के दौरान शिविरों में फंसे निरक्षरों को पढ़ाया ,,, एक माह तक चला कार्यक्रम*

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एक जिलाधिकारी ऐसे भी जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान 10 शिविरों में फंसे हुए विभिन्न राज्यों तथा नेपाल के निरक्षर मजदूरों को शिक्षित कराने की पहल की,, भविष्य में विभिन्न प्रांतों से लौटे प्रवासियों को साक्षर/ शिक्षित कराने की योजना है ,,,,,,,,,ऐसे जिलाधिकारी महोदय को साधुवाद

खबर जनपद चंपावत से है👉

24 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन 1 के दौरान विभिन्न प्रदेशों तथा नेपाल के निवासी अपने घरों को नहीं जा पाए तो उन्हें चंपावत जनपद के अंतर्गत 10 शिविरों में ठहराया गया

यह शिविर टनकपुर, बनबसा, लोहाघाट तथा चंपावत में बनाए गए थे। इन शिविरों में कुल 569 लोग ठहरे हुए थे जिनमें से 107 लोग निरक्षर/ अंगूठा छाप थे।

जिलाधिकारी चंपावत श्री सुरेंद्र नारायण पांडे जी ने एक अनूठी पहल शुरू की। इन्होंने इन शिविरों में रह रहे 107 निरक्षर, (जिनमें से 66 लोग नेपाली मूल के तथा 41 लोग भारत के अन्य राज्यों के शामिल हैं) लोगों को शिक्षित कराने का बीड़ा उठाया

जिलाधिकारी महोदय ने शिक्षा विभाग को इन निरक्षर लोगों को साक्षर/शिक्षित कराने की जिम्मेदारी सौंपी। शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने बड़े मनोयोग से इस पहल की महत्ता को समझते हुए निरक्षर , अंगूठा छाप लोगों को पढ़ाने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई।जो शिक्षक नेपाली भाषा जानते थे उन्हें नेपाली मूल के लोगों को पढ़ाने में लगाया गया

इस सारे साक्षरता कार्यक्रम के संचालन पर जिलाधिकारी महोदय की निरंतर दृष्टि रही। समय-समय पर उनके द्वारा आवश्यक निर्देश दिए जाते रहे।

यह साक्षरता कार्यक्रम 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक निरंतर जारी रहा

जिलाधिकारी महोदय श्री सुरेंद्र नारायण पांडे जी की यह पहल सचमुच प्रेरणादाई है

जिलाधिकारी महोदय का कहना है कि वर्तमान में जनपद चंपावत में 25000 से भी अधिक प्रवासी विभिन्न प्रांतों से आए हैं। इन प्रवासियों में से जो निरक्षर होंगे आगे उन्हें साक्षर/शिक्षित कराने की योजना बनाई गई है। अभी डाटा इकट्ठे किए जा रहे हैं कि कहां-कहां कितने लोग हैं ऐसे जिन्हें इस प्रकार शिक्षित किए जाने की नितांत आवश्यकता है ।

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