नवनियुक्त सांसद तीरथ के गांव के इलाके में यातायात व्यवस्थायें ठप

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गढ़वाल में एकल ग्रामीण बस सेवायें बंद होने से
स्थानीय यात्रियों की यंत्रणा को कौन समझेगा ?
गढ़वाल में यात्रा सीजन तेजी से अपने चरम की ओर है। तो दूसरी ओर प्रवासी लोगों का अपने घर-गांवों की ओर गर्मियों में आने का सिलसिला भी प्रारम्भ हो गया हैै। गर्मिैयों में एक तरफ यात्रियों की दिन-प्रतिदिन बड़ती भीड़ और दूसरी ओर पहाड़ों में नियमित बस सेवा में कटौती किया जाना हर साल की मुसीबत है। यात्रा सीजन में तो लोकल यात्री दोयम दर्जे का हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों और लिंक रोड की ओर देखने वाला कोई होता ही नहीं है। यही कारण है कि यात्रा सीजन में मेन रोड़ या राष्ट्रीय राजमार्गों से कई गुना ज्यादा यातायात की दिक्कतें लिंक रोड याने ग्रामीण क्षेत्रों की ओर की सड़कों में यात्रियों को होती है। पर उत्तराखंड सरकार के शासन-प्रशासन को इससे क्या ? उनकी निगाहें तो बाहर से आने वाले यात्रियों को ही निहारती हैं।

वैसे नियम यह है कि यात्रा सीजन में स्थानीय यातायात परिवहन कम्पनियां अपनी नियमित बस सेवाओं में अधिकतम 40 प्रतिशत की कटौती करके उन बसों को यात्रा रूट पर चलायेंगे। परन्तु ये स्थानीय यातायात कम्पनी चालाकी करके अपनी कुल बसों में से केवल लिंक या ग्रामीण क्षेत्र की ओर जाने वाली बस सेवाओं को बंद करती है। मेन रोड का यातायात यथावत रखती हैं। जबकि यह भी व्यवस्था है कि एकल बस सेवाओं को किसी भी हालत में बंद नहीं किया जा सकता है। माननीय उच्च न्यायलय ने भी इसी व्यवस्था को सख्ती से लागू करने के आदेश सरकार को दिए हैं। पर कौन परवाह करे न्यायलय और जनता की। सालों से यही होता आया है कि यात्रा सीजन की मार सबसे पहले ग्रामीण और एकल यात्रा सेवाओं पर ही पड़ती है। यह भी महत्वपूर्ण है कि यात्रा से पहाड़ के अधिकांश ग्रामीण इलाकों की आर्थिकी में कोई इजाफा नहीं होता है। गर्मियों के सीजन में मैदान से आने वाले प्रवासियों से ही पहाड़ के ग्रामीण इलाकों में जीवंतता और कमाई का मौका रहता है। यही कारण है कि स्थानीय लोग हर साल परिवहन की दिक्कतों को अनिवार्य नियति समझने की आदत डाले हुये रहते हैं।

जरा गौर करें कि गढ़वाल में प्रमुख यातायात कम्पनी जीएमओयू लि. की कुल 450 बसों में से इस समय 361 बसें (80 प्रतिशत) यात्रा मार्गों पर संचालित हो रही हैं। जबकि नियमानुसार जीएमओयू अपनी 180 बसों (40 प्रतिशत) से अधिक बसें यात्रा में नहीं लगा सकती है। जीएमओयू की यह मनमानी उत्तराखंड के शासन-प्रशासन, नेता-सामाजिक कार्यकर्ता और कर्मचारी-अधिकारी सबको मालूम है। परन्तु उनकी बला से इस बारे में कुछ करना तो छोड़िए कुछ सकारात्मक सोच भी सकें।

यातायात की विकट समस्याओं से तस्त्र होकर असवालस्यूं, पौड़ी गढ़वाल की स्थानीय जनता ने विगत 27 मई, 2019 को आयुक्त, गढ़वाल मंडल के सम्मुख जबरदस्त प्रर्दशन किया। ज्ञातव्य है कि पौड़ी से कल्जीखाल, मुंडनेश्वर, भेटी होते हुए सुरालगांव पहुंचने वाली जीएमओयू बस सेवा के कई महीनों से बंद होने के कारण आजकल स्थानीय आम जनता परेशान है। कल्जीखाल ब्लाक के एक बहुत बड़े क्षेत्र के लोग दैनिक परिवहन सुविधाओं के लिए इसी एकल बस सेवा पर निर्भर हैं। महीनों से लोगों की आने-जाने की विकट परेशानी अब उनके गुस्से में तब्दील होकर जन आंदोलन का आकार ले लिया है।

ग्रामीणों पौड़ी से मुंडनेश्वर के लिए दैनिक एवं एकल बस सेवा का शुभारंभ 26 जनवरी, 1978 से हुआ था। बस सेवा की उपयोगिता को देखते हुए बाद के वर्षो में इसे मुंडनेश्वर से आगे भेटी और फिर और आगे सुरालगांव तक विस्तारित किया गया। विगत 41 वर्षों की पौड़ी से सुरालगांव तक 70 किमी. दूर की इस बस सेवा से अनेकों गांव (विशेषकर असवालस्यूं) लाभाविन्त होते हैं। बिडम्बना यह भी है कि इस बस सेवा का अन्य विकल्प भी उनके पास मौजूद नहीं है। पर प्रशासन उनकी इस परेशानी की ओर मुंह फेर रहा है।

उल्लेखनीय है कि असवालस्यूं में जून माह में कई बड़े आयोजन होने जा रहे हैं। 2-4 श्रीझालीमाली महोत्सव, खुगशा, 6-7 मुंडनेश्वर मेला और 4-12 श्रीझालीमाली महोत्सव, नैल महत्वपूर्ण है। इन कार्यक्रमों में हजारों लोग एक साथ आते और जाते हैं। प्राईवेट टैक्सियां मनमाना किराया वसूलेंगे और ओवरलोडिंग के कारण दुर्घटनाओं की आशंका बराबर बनी रहेगी।

समय-समय पर कई अनुरोधों के बाद अब स्थानीय लोग एक निर्णायक लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। इसके लिए प्रथम चरण में आयुक्त के समक्ष अपनी बात को रखने के लिए ग्रामीणों ने 27 मई को उक्त प्रर्दशन किया था। आयुक्त, महोदय के आश्वासन पर उन्होने 31 मई, 2019 तक अपने आदोलन को स्थगित कर दिया है। परन्तु यदि उनकी यातायात समस्या का निदान नहीं होता है तो आगामी समय में स्थानीय जनता के ओर से व्यापक स्तर पर धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम है।
डॉ. अरुण कुकसाल

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