अजय भट्ट
जन्म तिथि-01 मई 1961
पता-784 गांधी चौक, रानीखेत, अल्मोड़ा
शैक्षिक योग्यता- एम.ए.एल.एल.बी.
सम्पर्क-9412092296
पूर्व में किन-किन पदों पर आसीन रहे-
> जनसंघ से जुड़े रहे तथा वर्ष 1980 में भाजपा में शामिल।
> वर्ष 1996 में प्रथम बार विधायक निर्वाचित।
> वर्ष 2001 में उत्तरांचल सरकार में कबीना मंत्री।
> वर्ष 2002 में विधायक (रानीखेत) निर्वाचित।
> दो बार महामंत्री भाजपा।
> 2012-17 विधायक रानीखेत एवं नेता प्रतिपक्ष।
> भाजपा प्रदेश अध्यक्ष-मार्च 2019 तक।
जीवन के प्रमुख आन्दोलनों का विवरण-
> शराब विरोधी आन्दोलन।
> नशा नहीं रोजगार दो आन्दोलन।
> रामजन्म भूमि आन्दोलन ;अयोध्या में 4 दिन की गिरफ्तारीद्ध।
> राम भक्तों पर गोली के बाद मुलायम सिंह की सभाओं पर रोक लग गयी थी। वह इस दौरान विधायक जसवन्त सिंह बिष्ट की बेटी की शादी में आये और जन सभा कर रहे थे। हमने उन्हें रोका और सभा नहीं होने दी। इस विरोध के कारण हमें गिरफ्तार किया गया।
> उत्तरांचल राज्य प्राप्ति आन्दोलनः डॉ मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में अल्मोड़ा में धरना तथा दिल्ली में 1 माह के धरना प्रदर्शन आयोजन मण्डल के सदस्य।
> रानीखेत को जिला बनाने हेतु आन्दोलन।
राज्य विकास के विषयों पर इनकी सोच
बेरोजगारी के सवाल परः-
> छोटे-छोटे बाजारों में व्यवसायिक शिक्षा के केन्द्र खुलें तो युवाओं का तकनीकी कौशल बढ़ेगा और वे रोजगार पा सकेंगे। प्रशिक्षित युवा अपना व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं। कोई फिडर या इलेक्ट्रीशियन बन पायेगा तो स्थानीय स्तर पर भी रोजी कमा सकता है।
> व्यवसायिक कम्पनियां बेरोजगार युवाओं को प्लेटफार्म दें, उन्हें प्रशिक्षित करें तथा उनसे काम लें तो अवश्य ही बेरोजगारी घटेगी।
पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन के सवाल परः-
> राज्य निर्माण के 10-11 वर्षों में पर्वतीय क्षेत्रों से लाखों की संख्या में युवाओं का पलायन शहरों की ओर हुआ है। पलायन की गति में निरन्तर वृद्धि हो रही है। तराई-मैदानी क्षेत्रों में जमीनों के मूल्य आसमान छूने लगे हैं।
> समुचित व्यवस्थायें हो बच्चों को अच्छी स्कूल मिले, चिकित्सालय सुविधाओं से सुसज्जित हों तो भला पहाड़ों में जाने से कोई क्यों कतरायें।
> धनाढ्य व्यवसायियों ने पर्वतीय क्षेत्रों में जगह-जगह जमीनें खरीदी हैं। वे यहां बसना चाहते हैं। ऐसी जिज्ञासा हम पहाड़ छोड़ चुके अपने लोगों में क्यों पैदा नहीं कर पाते। इसके लिए आवश्यक है कि यहां मूल-भूत सुविधायें बढ़ायी जायें।
> पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए यह अनिवार्य है कि यहां कम से कम पेयजल की उपलब्धता तो हो, अच्छी शिक्षा हो और स्वास्थ्य सुविधायें बहुत अच्छी स्थिति में हों।
राज्य के विकास का स्वरूपः-
> बेतहासा पलायन से इस पर्वतीय राज्य की परिकल्पना ही खत्म हो रही है। जन प्रतिनिधयों को इस विषय में गंभीरता से विचार करना चाहिए।
> पर्वतीय क्षेत्रों में लघु उद्योगों की स्थापना हेतु कम्पनियों को प्रोत्सहन देना चाहिए। यातायात की सुविधा अच्छी हो तथा कुछ अवधि तक करों में छूट दी जाय तो उद्योगपति पहाड़ों की ओर बढ़ेंगे और अवश्य ही यहां छोटे-छोटे कलपुर्जों की असेम्बलिंग का कार्य किया जा सकता है।
> युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण दिये जाये जिससे कम्पनियों को स्थानीय स्तर पर कुशल श्रमिक मिल पायें। यदि यहां के युवाओं को अपने क्षेत्र में ही रोजगार मिले तो वे शहरों में धक्के खाने वाली नौकरियों की ओर आकर्षित नहीं होंगे। यहां के लोग शहरों में सम्मान जनक रोजगार नहीं पाते हैं।
> सरकार चाहे जिस भी पार्टी की हो परन्तु उसके पास एक स्पष्ट विकासपरक दृष्टिकोण हो। पहाड़ों के प्रति संवेदना हो व रचनात्मक सोच हो। पर्वतीय क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा का स्तर बेहद कमजोर है। बुनियाद कमजोर है इसलिए युवा कहीं नौकरी भी नहीं कर पाते, वे फौज और पुलिस की भर्तियों में भी असफल हो रहे हैं।
पर्यटन विकास के सवाल परः-
> पर्यटन राज्य की आर्थिकी की रीढ़ बन सकती है। पर्यटन विकास की दिशा में कुछ तो हुआ है परन्तु अपेक्षित नहीं हो पाया है।
> राज्य में पर्यटन के विविध आयाम विकसित किये जाने चाहिए। यहां तीर्थाटन के अलावा साहसिक पर्यटन आयुर्वेदिक व चिन्तन तथा अन्य प्रकार के पर्यटन की अपार सम्भावनायें है। इन सम्भावनाओं की तलाश करके कुछ प्रभावकारी योजनायें बननी चाहिए।
> पर्यटकों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधायें मिलें, रहने खाने की अच्छी व्यवस्था हो। अच्छा आतिथ्य सत्कार मिले।
> पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों, कर्मचारियों व अधिकारियों में पर्यटकों को उचित सम्मान व सहयोग देने की क्षमता विकसित हो। पर्यटन से जुड़े सरकारी कर्मचारियों/अधिकारियों में कार्य संस्कृति विकसित हो। वे अपने कार्य को मात्र नौकरी के रूप में न करें बल्कि उनमें पर्यटकों को सुविधायें देने तथा व्यवसाय बढ़ाने की भावना रखें।
> उत्तराखण्ड को देव भूमि क्यों कहा जाता हैं। इस विषय पर अनुसंधान हो तथा हमारे ऐतिहासिक मन्दिरों तथा संस्कृति का व्यापक प्रचार प्रसार हो। लोग उत्तराखण्ड को समझें और यहां बार-बार आते रहें ऐसे प्रयास हों।
> उत्तराखण्ड के धार्मिक स्थलों में देवता निवास करते हैं। ऐसे प्रमाण आज भी मिल जाते हैं। यदि किसी को न्यायालय में भी न्याय न मिल रहा हो और वह गोल्ज्यू ;गोलूद्ध देवता के दरबार में अर्जी लगा दें तो उसे न्याय अवश्य ही मिलता है। इसी प्रकार शक्ति पीठों मेंमेले लगते हैं नन्दा देवी राजजात की लम्बी यात्रा, इन तमाम आस्था से जुड़े विषयों की जानकारियों को व्यापक प्रचार-प्रसार मिले तो यहां और अधिक पर्यटक आयेंगे।
कृषि विकास के सवाल परः-
> राज्य में निर्माणाधीन जल-विद्युत परियोजनाओं पर लगी रोक हटे और शीघ्र निर्माण हों। इन योजनाओं पर अरबों रूपये खर्च हो चुके हैं। अब रोक लगाने का औचित्य ही नहीं है। वैसे भी छोटी-छोटी जल-विद्युत परियोजनायें ऊर्जा प्राप्ति हेतु आवश्यक हैं और इनसे कोई नुकसान भी नहीं।
> सौर ऊर्जा सम्बन्धी परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। ऐसी परियोजनाओं पर कम खर्च में ही निर्माण हो जायेगा और कम समय में ही बन कर तैयार ये परियोजनायें सतत् ऊर्जा दे पाने में सहायक होंगी।
> राज्य में उद्योग लगाने हेतु उद्योगपतियों को आमंत्रित किया जाये तथा उन्हें तमाम सुविधायें दी जायें तथा करों में छूट दी जायें।
विकास हेतु परियोजनायेंंः-
> खाद्य एवं फल प्रसंस्करण प्रशिक्षण दिये जाये व इस से सम्बन्धित फैक्ट्रियां लगें। अन्यथा यहां से औने-पौने दामों पर कच्चा माल बाहर कम्पनियों को बेच दिया जा रहा है।
> वैज्ञानिकों को साथ बिठाकर कारगर योजनायें बनवाऐं तथा उन्हें बिना किसी राजनैतिक दबाव के स्वत्रंत रूप से कार्य करने दें। वैज्ञानिक तरीके से खेती की जायेगी तो कम जमीन पर भी अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा।
आपके संघर्षों की कहानीः-
> गरीब कृषक परिवार में जन्म लिया। छोटी उम्र से ही घर के कार्यों में हाथ बंटाता रहा। होश संभालते ही सर से पिता का साया उठ गया। अब पढ़ाई के साथ ही घर की जिम्मेदारियांं को निभाने लगा। कृषि कार्य से लेकर बेलचा-फावड़ा चलाना, गाय दोहना। जलावन लकड़ी का व्यवस्था करना। इत्यादि सभी कार्यों में दक्ष रहा हूं। बचपन से सामाजिक कार्यों के प्रति रूझान रहा। स्वयं सेवक शाखाओं में जाने लगा। स्नातक शिक्षा तक प्राईवेट पेपर दिये। इसके उपरान्त विधि स्नातक एल.एल.बी. की शिक्षा रेगुलर छात्र बन कर प्राप्त की। डिग्री कॉलेज में ए.बी.वी.पी. में शामिल हुआ। फिर मण्डल से जिला और जिले से राज्य स्तर तक राजनीति में आ गया। मैं भारतीय जनता पार्टी का एक अनुशासित सिपाही हूँ। पार्टी ने जब-जब, जो-जो जिम्मेदारियां दी उन्हें भली-भांति पूरी लगन के साथ निभाया है।