आज गुरु नानक पूर्णिमा का दिन हमारी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बेहद खास है।
आज “देव दीपावली” है। काशी में देव दीपावली के अवसर पर विशेष आयोजन किया जाता है।काशी के घाटों पर विशेष पूजा अर्चना व दीपोत्सव का आयोजन होता है
आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने आज के दिन का महात्म्य बताते हुए कहा कि—। ।
पुराणों में वर्णित है कि 👉आज के दिन काशी क्षेत्र में ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसके आतंक से मुक्त होने के उपलक्ष्य में दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है
एक वर्णन और है कि 👉
आषाढ़ मास में हरिशयनी एकादशी को भगवान विष्णु शयन मुद्रा में चले जाते हैं।
हरिबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागते हैं।
आज चातुर्मास खत्म होने के उपरांत भगवान विष्णु जागने के बाद पूर्णरूपेण अपने कार्यों में जुट जाते हैं। सभी देवता भगवान विष्णु की पूजा करते हैं ।आज से शुभ कार्यों का शुभारंभ होता है जो कि चातुर्मास में बंद किए गए थे।
शास्त्रों के अनुसार ही 👉
अग्निख्वातादि , अर्यमणादि व अन्य पित्र भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को धरती पर आते हैं। पन्द्रह दिन श्राद्ध आश्विन मास में पित्र पूजे जाते हैं। फिर पित्रों का जाने को मन नहीं करता। उनको कार्तिक पूर्णिमा तक दीप दिखाते हैं और आज वह अपने लोक को चले जाते हैं। उन्हें मार्ग दिखाने के लिए भी हम दीप जलाकर उजाला करते हैं। इसको पित्र दीपावली या देव दीपावली भी कहते हैं।
उपरोक्त वर्णनो से स्पष्ट है कि आज की पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म मैं विशेष स्थान रखता है। इस दिन की विशेष मान्यता है।
आज के ही दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था