कैसी हो शिक्षा नीति, एक परिचर्चा

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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के सभागार में नई शिक्षा नीति 2019 के मसौदा रिपोर्ट पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया । मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा शिक्षा में बदलाव हेतु एक ड्राफ्ट पूरे देश के सामने रखा गया है जिस पर 15 अगस्त तक सुझाव मांगे गए हैं । इस पूरी रिपोर्ट को गढ़वाल विश्वविद्यालय में अलग-अलग संकायों को अलग-अलग विषयों पर पर चर्चा कर सुझाव विश्वविद्यालय को सौंपने हैं। विश्वविद्यालय अलग-अलग संकाय से प्राप्त सुझावों को मंत्रालय को भेजेगा।
राजनीति विज्ञान विभाग में उच्च शिक्षा के लिए प्रभावी शासन व प्रभावी नेतृत्व तथा नियामक प्रणाली पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस कार्यशाला में डीएसडब्ल्यू जे पी एस राणा शिक्षा विभाग के संकाय अध्यक्ष डॉ एसएस रावत प्रोफेसर एमके सिंह प्रोफेसर सीएस सूद डॉ प्रशांत कंडारी डॉक्टर सीमा प्रोफेसर आर एन गैरोला डॉ हिमांशु बौढ़ाई प्रोफेसर एमएम सेमवाल डॉक्टर मनीष कुमार एवं शिक्षक तथा शोध छात्र मौजूद थे।
राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एमएम सेमवाल ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षा में नए बदलाव की आवश्यकता के लिए यह शिक्षा नीति लाई गई जो कि निष्पक्ष व न्यायपूर्ण समाज बनाने की ओर कदम बढ़ाया गया है। यह नए भारत के लिए आधारशिला का काम करेगी। शिक्षा विभाग की डॉ सीमा धवन ने नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर पीपीटी प्रेजेंटेशन दिया और कहा कि यह शिक्षा नीति आंगनबाड़ी से लेकर उच्च शिक्षा तक हर स्तर की ओर ध्यान दे रही है।


इस संगोष्ठी में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए गए। सर्वप्रथम संस्थान की उच्च निर्णय कारी संस्था बोर्ड ऑफ गवर्नर में उद्योग जगत का प्रतिनिधित्व स्पष्ट होना चाहिए ताकि शिक्षा एवं रोजगार का सामंजस्य बैठाया जा सके।
संस्थानिक लोकतंत्र को और अधिक मजबूती दिए जाने की आवश्यकता है जिससे विभाग की स्वायत्तता स्पष्ट होगी । इस नीति में अनुदान संबंधी नियमों पर भी प्रत्यक्ष व स्पष्ट नियमों की आवश्यकता को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया गया। इसके अतिरिक्त स्कूली व उच्च शिक्षा के कई महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई। इसके अलावा वक्ताओं ने इस नीति में विश्वविद्यालयों को क्षेत्रीय विकास के लिए अलग से कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि स्थानीय भौगोलिक व सामाजिक परिस्थितियों को समझकर विश्वविद्यालय समाज के विकास में योगदान दे सकें।
इस संगोष्ठी में स्नातकोत्तर व शोध के छात्र भी मौजूद थे।

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