धर्म रक्षा 👉 चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष का तीर्थ पुरोहितों के नाम आव्हान पत्र

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चार धाम विकास परिषद

उत्तराखंड राज्य में चारों धामों तथा पौराणिक मंदिरों के संरक्षण व विकास हेतु “देवस्थानम्” एक्ट तैयार किया गया है । राज्य के माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा स्पष्ट किया गया है कि इस एक्ट के प्रभावी होने से धामों और मंदिरों के पुरोहितों व सेवादारों के हक – हकूकों पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा

मेरे द्वारा श्राइन बोर्ड गठन किए जाने के विरोध में चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा माननीय मुख्यमंत्री जी को सौंपा गया था। माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा इस आश्वासन के साथ मेरा इस्तीफा नामंजूर किया गया कि चारों धामों तथा राज्य के अन्य पौराणिक मंदिरों के हक- हकूकधारियों के हक पूर्ववत सुरक्षित रखे जाएंगे। मैंने पुनः उपाध्यक्ष चार धाम विकास परिषद का पद संभाला है।मैं राज्य सरकार तथा चारों धामों व मंदिरों के पुरोहितों/ पुजारियों के मध्य सामंजस्य बनाए रखने में सेतु का कार्य करूंगा।

मैं यह स्पष्ट रूप से बताना चाहूंगा कि राज्य सरकार और मुख्य रूप से माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा सभी तीर्थ पुरोहितों एवं हक -हकूकधारियों का आह्वान किया गया है कि वे विरोध प्रदर्शनों का रास्ता छोड़कर संवाद के लिए आगे आयें। संवाद का रास्ता हमेशा खुला है । सभी हक हकूकधारियों को मैं सूचित कर रहा हूं कि मुझे चार धाम विकास परिषद का उपाध्यक्ष रहते हुए जिम्मेदारी दी गई है कि मैं आप सभी से विचार-विमर्श कर शासन व सरकार को आपके विचारों से अवगत कराऊं। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी सक्रिय भूमिका निभाऊंगा। मैं स्वयं ही धर्म से जुड़ा हुआ और धर्म रक्षा के लिए निरंतर प्रयासरत व्यक्ति हूं । अतः राजनीतिक नहीं बल्कि धर्म की बात करूंगा

हमारा प्रयास होगा कि चारों धामों में पूजा पद्धति तथा प्रबंधन हेतु आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा और उससे भी पूर्व स्थानीय पंडा/ पुरोहितों द्वारा स्थापित व्यवस्थाओं और परंपराओं को अक्षुण्ण रखा जाए

वर्तमान में सरकार द्वारा तैयार किया गया एक्ट मंदिरों के विकास को दृष्टिगत रखते हुए तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार से हमारी पूजा पद्धति अथवा परंपराओं से छेड़छाड़ करना एवं किसी के हक हकूक छीनना नहीं है।यदि हम और आप आगे बढ़ कर आपस में संवाद करें तथा सरकार / शासन द्वारा तैयार किए जा रहे देवस्थानम मसौदा को पढ़ें और समझें एवं इसे तैयार करने में अपनी भूमिका निभाएं तो यह कारगर पहल होगी । दूरी बढ़ाकर और आंदोलन / विरोध प्रदर्शन करके समस्या का समाधान संभव नहीं है

संवाद के लिए सदैव चार धाम विकास परिषद के द्वार खुले हैं और सकारात्मक संवाद हेतु में आप तीर्थ पुरोहितों , पुजारियों, हक- हकूकधारियों का ह्रदय से आह्वान करता हूं।

            आचार्य शिव प्रसाद ममगांई, उपाध्यक्ष चार   धाम विकास परिषद

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