पर्यावरण संरक्षण उत्तराखंडियों के स्वभाव में है। हिमालय , विज्ञान – चिंतन व विवेचना कार्यक्रम आयोजित

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हिमालय दिवस के अवसर पर हिमालयन यूनिटी मिशन, उत्तराखंड विज्ञान, शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र और विज्ञान भारती उत्तराखंड द्वारा संयुक्त रूप से ” हिमालय विज्ञान, चिंतन और विवेचना” विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय राज्य व देश के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी विशेष महत्व रखता है। हिमालय संरक्षण के लिए यहां संस्कृति, नदियों व वनों का संरक्षण जरूरी है। जल संरक्षण व संवर्धन गए सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी से पेड़ नहीं बल्कि पेड़ से पानी होता है। अगर पेड़ नहीं होंगे तो पानी भी नहीं होगा। राज्य सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के लिए किसी एक दिन को वृक्षारोपण दिवस के रूप में मनाया जाएगा जिसमें कि पूरे राज्य में एक दिन में ही करोड़ों पौधे लगाए जाएंगे। ऐसा करना सम्भव है। पूर्व में रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान में एक दिन में देहरादून में 2 लाख 50 हजार से ज्यादा पौधे लगाए गए थे जबकि कोसी पुनर्जीविकरण अभियान में एक दिन में 1 लाख 67 हजार से अधिक पौधे लगाए गए थे। सचिवालय में पानी की प्लास्टिक की बोतलों पर रोक लगा दी गई है।  
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत में आयोजित हिमालयन कान्क्लेव में मसूरी संकल्प पारित किया गय था। इसमें सभी हिमालयी राज्यों ने हिमालय के पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लिया था। आरगेनिक व प्राकृतिक खेती आज की आवश्यकता है।   
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर हम सभी संकल्प लें तो जल संरक्षण का महत्वपूर्ण काम किया जा सकता है। टॉयलेट के सिस्टर्न में एक बोतल रख दें तो इससे एक बार में एक लीटर पानी बचाया जा सकता है। अगर राज्य में एक करोड़ टॉयलेट हों तो एक दिन में एक करोड़ लीटर जबकि एक वर्ष में 365 करोड़ लीटर पानी बचाया जा सकता है। सामाजिक चेतना व इच्छाशक्ति से ये सम्भव है।
कार्यक्रम में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डा.धनसिंह रावत, परमार्थ निकेतन के श्री चिदानंद मुनि जी, पद्मश्री अनिल जोशी, यूसर्क के प्रोफेसर दुर्गेश पंत आदि उपस्थित थे।

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