जुगाड़ के भरोसे नगर विकास… क्या होगा नगर निकायों का

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जुगाड़ के भरोसे नगर विकास…

👉नगर निकायों में अधिकारियों की कमी दूर करने के लिए शहरी विकास विभाग बड़े जुगाड़ तरीके से अधिकारी जुटा रहा है।

👉यहां प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी का लाने का यह कार्यक्रम 4 वर्षों की लंबी यात्रा पूरी कर चुका है।

आजकल सोशल मीडिया पर दो अध्यापकों के नगर निगमों में प्रतिनियुक्ति की खबरें मसाले लगाकर पकाई जा रही हैं । इनमें से एक पंकज गैरोला को अपनी प्रतिनियुक्ति की खबर भी सोशल मीडिया से ही पता चली। इन्होंने इस प्रतिनियुक्ति पर जाने में इच्छुक न होने का पत्र सचिव उत्तराखंड शासन को दे दिया है। दूसरी नियुक्ति सहायक अध्यापिका ताबिंदा अली की हुई है। दोनों को नगर निगम काशीपुर में सहायक नगर आयुक्त के पदों पर प्रतिनियुक्ति के आदेश हुए हैं। दोनों को शिक्षा विभाग की अनापत्ति प्राप्त है।

शहरी विकास विभाग के अंतर्गत नगर निगमों, नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में अधिकारी जुटाने की प्रतिनियुक्ति वाली प्रक्रिया इतनी पुरानी हो गई कि जिन्होंने इसके लिए आवेदन किए थे वे भी भूल गए।

अब कुछ दिन पूर्व अचानक ही प्रतिनियुक्ति हेतु अभ्यर्थियों को पत्र जारी किए गये।

गौरतलब है कि वर्ष 2015 में शहरी विकास विभाग के माध्यम से प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी जुटाने का विज्ञापन प्रकाशित किया गया था नगर निकायों व नगर पंचायतों में सहायक नगर आयुक्त और अधिकार अधिशासी अधिकारी जैसे अहम पदों के लिए लिपिकों, कंप्यूटर ऑपरेटरों तथा ग्राम विकास अधिकारी स्तर के कर्मचारियों को अर्ह / योग्य माना गया।

काबिले तारीफ बात यह है कि 2 वर्ष से अधिक का समय लग गया इस विज्ञप्ति के सापेक्ष साक्षात करने में।2015 की विज्ञप्ति के सापेक्ष 2017 में साक्षात्कार किए जाते हैं। इससे भी तेजी इन पदों पर नियुक्ति देने में दिखाई गई और साक्षात्कार के 2 वर्ष बाद सितंबर 2019 में नियुक्ति पत्र जारी किए गए।

👉 प्रतिनियुक्ति पर लाए गए इन अधिकारियों को जारी पत्र में जिस कार्यालय अथवा स्थान से प्रतिनियुक्ति पर लाना दर्शाया गया है, अधिकांश अब तक वहां से अन्यत्र स्थानांतरित हो चुके हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि प्रतिनियुक्ति पर किसे लाया जा रहा है ? और प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी लाने के लिए नई विज्ञप्ति प्रकाशित नहीं की जानी चाहिए थी ?

क्या नगर निगम, नगर पालिका अथवा नगर पंचायतों में सहायक नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी जैसे अहम पदों पर लिपिक, कंप्यूटर प्रोग्रामर, ग्राम विकास अधिकारी या सफाई निरीक्षक की तैनाती किया जाना उचित है उचित है ? ऐसे तो फिर हो गया नगर निकायों का उद्धार!

आखिर शहरी विकास विभाग पुरानी विज्ञप्ति या पुराने साक्षात्कार को जुगाड़ टेक्नोलॉजी के रूप में उपयोग क्यों कर रहा है ?

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