गुंडागर्दी पर उतरा इलाज करने वाला महकमा, डॉक्टर दे रहा धमकी ,,,,,काहे का मेडिकल कॉलेज

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कल रात्रि (31 अगस्त )दून अस्पताल में व्यथित करने वाली 2 घटनाएं हुई जिनका जिक्र करते हुए यह सब कुछ लिखा जा रहा है।

दो घटनाओं का विवरण इस प्रकार है:-
पहली घटना:-गरीब परिवार की राजेश्वरी लखेड़ा ने अपनी 18 वर्षीया बेटी को भयंकर बुखार व कमर दर्द होने के कारण दून अस्पताल में भर्ती कराया हुआ है रात में जब मरीज की तबीयत ज्यादा खराब लगी तो परिजनों ने दवाई देने व ब्लू को चढ़ाने के लिए कहा परंतु बहुत देर तक भी किसी ने उनकी बात नहीं सुनी मजेदार बात यह है कि हॉस्पिटल स्टाफ नर्स वार्ड बॉय की तैयारी अपनी ड्रेस में नहीं मिलते ऐसे में खचाखच भीड़ भरे अस्पताल में किस से बात करें यह भी निश्चित नहीं हो पा रहा था। लगभग आधा घंटे बाद किसी स्टाफ ने मरीज को ग्लूकोज चढ़ाया।

दूसरी घटना डॉक्टर की लापरवाही तथा गुंडागर्दी दर्शाने वाली है–
एक 11- 12 साल का बच्चा स्ट्रेचर पर लेटा हुआ दर्द से तड़प रहा था। परिजनों ने बच्चे की नाजुक हालत देखकर डॉक्टर से शीघ्र उपचार का अनुरोध किया तो डॉक्टर टालते रहे और कहा कि जब नंबर आएगा तो देख लेंगे । इस पर परिजनों का भड़कना स्वाभाविक ही था। डॉक्टर साहब उस तड़पते हुए बच्चे को देखने के बजाय परिजनों से उलझ गए और अपने गुंडे बुलाओ_ देख लेंगे _ कहते हुए वहां से चलते बने । उच्च स्वर में परिजनों को धमकाते नजर आ रहे डॉक्टर रूपी भगवान को जरा भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास नहीं हो रहा था, यूं लग रहा था जैसे वह अखाड़े में पहलवानों को बुलाकर पटकनी देने के लिए आतुर हों।
परिजन बड़ी हताशा की स्थिति में अपने बच्चे को गोदी में उठाकर अन्यत्र हॉस्पिटल ले जाने के लिए बाहर लाते हैं। इतनी मार्मिक वह ह्रदय विदारक स्थिति देखकर भी डॉक्टर का ह्रदय नहीं पसीजता। उन्होंने एक बार भी यह जहमत नहीं उठाई कि मरीज को देख लूं उसकी हालत बेहद नाजुक है।
हमारे पास इस घटना का वीडियो भी है जिसमें गाली गलौज ज्यादा होने के कारण वीडियो दिखा नहीं सकते।

जब राजधानी में ही स्वास्थ्य महकमा सुविधाएं नहीं दे पा रहा तो प्रदेश के क्या हाल होंगे। चिंता का विषय यह है कि राजधानी देहरादून में प्राइवेट हॉस्पिटल स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर चांदी काट रहे हैं। छोटी-छोटी बीमारियों के लिए भी इन्हीं की देहरी पर जाना पड़ता है। आखिर हमारे पास एक भी सुव्यवस्थित व सुसज्जित सरकारी अस्पताल क्यों नहीं है।

प्रदेश का एकमात्र बड़ा हॉस्पिटल “दून अस्पताल” को मेडिकल कॉलेज बना दिया गया है परंतु वह भी मरीजों के भार तले बीमार पड़ा हुआ है ।आए दिन वहां हो रही अराजकताओं की घटनाएं सामने आती हैं । अस्पताल प्रबंधन पर्याप्त सुविधाओं का न हो पाने का रोना रोता है। डॉक्टर व कर्मचारी तीमारदारों के साथ अव्यवहार कर रहे हैं, गुंडागर्दी कर रहे हैं।

प्रश्न यह है कि यदि अस्पताल में भीड़ ज्यादा है और पर्याप्त स्टाफ नहीं है तो इसके जिम्मेदार कौन हैं? आखिर क्यों नहीं स्टाफ बढ़ाने की मांग की जाती। पहाड़ तक डॉक्टर जा नहीं पा रहे, और वहां अस्पतालों में उपचार की सुविधाएं हैं नहीं ।

जब सब कुछ देहरादून में ही है तो फिर एक अस्पताल मैं तो पर्याप्त सुविधाएं मुहैया करवाई जा सकती हैं।

उक्त दो घटनाएं तो उदाहरण मात्र हैं, यहां तो आए दिन दून अस्पताल की अराजकता व असुविधाओं व अव्यवहार की घटनाएं सामने आती रहती हैं।

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