एक पहाड़ी आत्मनिर्भर, साहसी महिला रानू की कहानी……………………….

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जनपद टिहरी के अन्तर्गत रानीचौरी में पली बढ़ी है रानू। इन्टरमीडिएट तक की पढ़ाई करने उपरान्त वर्ष 2014 में इनकी शादी भरत सिंह रावत, ग्राम दुबल्या, पैडलस्यूं पट्टी, जनपद पौड़ी गढ़वाल के साथ हुई। शादी के 06 माह पश्चात् वह अपने पति जो कि एक इलेक्ट्रीशियन का काम करते हैं के साथ देहरादून आ गयी। नया बस्ती, चन्दररोड़, डालनवाला में निवास कर रही है। रानू के दो बच्चे एक 5 वर्ष (एल.के.जी. में पढ़ रही है) व एक डेढ़ वर्ष का बालक है। 6 माह पूर्व रानू ने घर की आजीविका संवारने के लिए ई-रिक्शा चलाना प्रारम्भ किया। वह सुबह पहले विसडम एकेडमी व बाला हिसार (आक्सफोर्ड) स्कूल के बच्चों को छोड़ती है एवं दूसरा चक्कर सोनाली माले स्कूल के बच्चे छोड़ने जाती है। तदोपरान्त दोपहर तक अन्य सवारियों को उनके निश्चित स्थान पर छोड़ने जाती है फिर दोपहर में स्कूल की छुट्टी के बाद बच्चों को उनके घरों तक छोड़ती है। इस अवधि में इनके बच्चे की देखभाल उनके पड़ोसी करते हैं।
रानू कहती है कि यह रोजगार का एक अच्छा साधन है जो महिलायें अपनी आजीविका चलाने के लिए कुछ करना चाहती हैं तो वह यह रोजगार अपना सकती है। इस स्वरोजगार से उनकी आजीविका भी बढ़ेगी एव उनका आत्मसम्मान बढ़ेगा। कोई भी नौकरी करने से अच्छा अपना स्वरोजगार होना व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाता है। आत्मविश्वास व उत्साह के साथ स्वरोजगार की ओर बढ़ी रानू निश्चित ही एक मिशाल कायम कर रही है ऐसी साहसी महिला को प्रणाम। देखिए विडियो……………

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